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Dubai एयरपोर्ट पर यात्रियों की आंखें ही करेंगी Passport और बोर्डिंग पास का काम, जानिए कैसे करेगा काम

इंटरनेशनल फ्लाइट के लिए सबसे ज्यादा बिजी रहने वाले एयरपोर्ट में से एक दुबई एयरपोर्ट एक बार फिर से अपनी एडवांस टेक्नोलॉजी को लेकर सुर्खियों में छाया हुआ है। बता दें कि दुबई एयरपोर्ट पहले से ही अपनी शानदार ड्यूटी फ्री शॉप, आर्टिफिशल ताड़ के पेड़ों, चमचमाते टावरों और एंडवांस कूलिंग का रखने के लिए दुनिया भर में फेमस है, लेकिन अब इस फेमस एयरपोर्ट पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक और नया आयाम जुड़ गया है। पिछले एक साल से दुनिया भर में फैली महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर यूनाइटेड अरब अमीरात ह्यूमन कॉन्टेक्ट को रोकने के लिए इस टैक्निक का इस्तेमाल करने जा रहा है।

इस टैक्नोलॉजी के जरिए अब दुबई एयरपोर्ट पर पैसेंजर्स के आंखों की पुतलियों से उनकी पहचान की जाएगी। कोरोना वायरस महामारी के दौरान लोगों के संपर्क को कम करने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एडवांस्ड इस्तेमाल करने के लिए इस कॉन्टैक्टलेस तकनीकी का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। आइरिस डाटा को देश के फेशियल रिकग्निशन डाटाबेस के साथ जोड़ा गया है। यही कारण है कि अब लोगों को पहचान पत्र और बोर्डिंग पास साथ रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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इस प्रक्रिया के तहत चेक-इन से लेकर बोर्डिंग तक सब काम एक साथ हो जाता है। एमिरेट्स के बायोमैट्रिक निजी बयान के मुताबिक, एयरलाइन यात्रियों के चेहरे को उनकी निजी पहचान के साथ जोड़ता है। इसमें पासपोर्ट और उड़ान की पूरी जानकारी होगी। वहीं यह डाटा तब तक रखा जाएगा, जब तक उसकी जरूरत हो।

वैसे UAE सरकार की इन सभी कोशिशों ने 7 अमीरात राज्य में बड़े पैमाने पर लोगों की सर्विलांस को लेकर काफी सवाल खड़े कर दिए है। यूनाइटेड अरब अमीरात सर्विलांस कैमरों के मामले में पहले से ही दुनिया में सबसे ऊपर है, UAE के हर एक व्यक्ति पर सर्विलांस कैमरों की संख्या काफी ज्यादा है।

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पिछले महीने दुबई एयरपोर्ट की तरफे से सभी इंटरनेशनल पैसेंजर्स को इस आइरिस स्कैनर के बारे में जानकारी देनी शुरू कर दी गई थी। पिछले हफ्ते रविवार के दिन दुबई एयरपोर्ट पर यात्रियों ने चेक इन करने के बाद आइरिस स्कैनर का सामना किया था। बता दें कि पासपोर्ट कंट्रोल के मुकाबले में ये तरिका काफी हद तक ठीक है कि कुछ सेकंडों के अंदर ही पैसेंजर्स को आगे जाने की इजाजत मिल गई। ये सब देख कर ऐसा लग रहा है कि कागजी टिकटों और मोबाइल ऐप के दिनों वाला जमाना भी चला गया हैं।