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हम राजनीति से रहते हैं बहुत दूर, एक टीम की तरह काम करेंगी तीनों सेनाएं: CDS बिपिन रावत

देश की पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तौर पर बुधवार यानी 1 जनवरी को विपिन रावत ने कार्यभार संभाल लिया है। इस दौरान उन्हें तीनों सेनाओं के जवानों ने सलामी दी। साथ ही चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तौर पर गार्ड ऑफ ऑनर का सम्मान भी दिया गया।
कार्यभार संभालने के बाद सीडीएस रावत ने मीडिया से किए गई बातचीत के दौरान कहा कि, “तीनों सेना ने हमेशा ही एक टीम के तौर पर काम करेगी। हमें बेहतर संसाधन के प्रबंधन को बढ़ाना होगा। इसके साथ ही एकीकरण पर भी कार्य करने होंगे। हम कभी भी दूसरे देश के सिस्टम को कॉपी नहीं करेंगें।”
वही जब राजनीति से जुड़े आरोपों पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ विपिन रावत से सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि, “हम राजनीतिक से बहुत दूर रहते है। साथ ही सत्ता में जो मौजूदा सरकार होती है। हम उनके निर्देशों के अनुसार अपना काम करते हैं।हमारा फोकस तीनों सेनाओं को एक साथ करना होगा। अगर इससे अलग काम हमें मिलेगा तो हम उसपर आगे बढ़ेंगे। अगर सरकार ने तीन साल का कार्यकाल दिया है, तो कुछ सोच समझकर ही दिया होगा।”

जानिए इस देश को क्या पड़ी चीफ ऑफ स्टाफ की जरूरत

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साल 1999 में कारगिल युद्ध के बाद जब साल 2001 में उस वक्त के उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी तो उसने पाया कि तीनों सेनाओं में तालमेल और समन्वय की कमी रही। अगर तीनों सेनाओं में तालमेल ठीक तरीके से हुए होता तो कारगिल युद्ध में हमें बेहद ही कम नुकसान होता। ऐसे में उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में गठित ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GOM) ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी CDS का पद बनाने का सुझाव दिया गया था, लेकिन उसके बाद राजनीतिक स्तर पर सहमति नहीं मिल पाने की वजह से यह पूरा नहीं हो सका था, हालांकि मोदी सरकार ने इस सुझाव को पूरा करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का ऐलान किया और अब इस पद का कार्यभार जनरल विपिन रावत को सौंप दिया गया है। वे इस पद को कल संभालेंगे।इस पद पर बैठा शख्स की जिम्मेदारी तीनों सेनाओं से जुड़े मामलों में बतौर रक्षा मंत्री सलाह देना होता है। यह रक्षा मंत्री का प्रधान सलाहकार कहलाता है, हालांकि तीनों सेनाओं के प्रमुख रक्षा मंत्री को सैन्य मामलों से जुड़ी सलाह पहले की तरह देते रहेंगे।

बता दें, हाल ही में मोदी सरकार की तरफ से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद की मंजूरी दी गई थी। यह शख्स बगैर रक्षा सचिव की मंजूरी के रक्षा मंत्री से सीधे मुलाकात कर सकता है और सैन्य से जुड़ी मामलों की जानकारी पर बातचीत कर सकता है।