किसी के पिता लगाते थे कपड़े की फेरी तो कोई महिला बनी अपने गांव में पहली IAS अधिकारी; जानें सक्सेस स्टोरीज

24 सितंबर शुक्रवार को संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा के फाइनल रिजल्ट की घोषणा करी है। वहीं इस परीक्षा में कुल 761 उम्मीदवार पास हुए हैं जिनमें 545 पुरुष और 216 महिलाएं हैं। वहीं इस बीच इस पोस्ट के जरिये हम आपको उन टॉपर्स की जानकारी देने जा रहे हैं जिन्होंने सिविल सेवा परीक्षा रैंक हासिल करी है।

ममता

24 वर्षीय ममता ने यूपीएससी की परीक्षा में पांचवीं रैंक हासिल की है और अब वो अपने पूरे गांव में आईएएस बनने वाली पहली महिला बन गई हैं।, ममता ने साल 2020 में भी यह परीक्षा दी थी, लेकिन उस वक्त उन्होंने 556 रैंक हासिल की थी। सिलेक्ट होने के बाद वह भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा के लिए प्रशिक्षण लेने लगीं। लेकिन बाद में ममता फिर से प्रयास किया और सफलता हासिल की।

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बसई गांव निवासी ममता यादव के पिता अशोक यादव एक निजी कंपनी में काम करते हैं और उनकी मां सरोज यादव गृहिणी हैं। ममता ने अपनी पूरी पढ़ाई दिल्ली से ही पूरी की है। और वे दिल्ली ही डीयू (दिल्ली यूनिवर्सिटी) के हिंदू कॉलेज से पास आउट हैं।

वहीं ममता सफलता को लेकर की मां सरोज का कहना है कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उनकी बेटी इतना आगे जाएगी। उनके पिता अशोक अपनी बेटी की सफलता का श्रेय ममता की मां को देते हैं। वहीं उनके पिता बताते हैं कि ममता ने उनका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। खास बात यह है कि वे अपने गांव की पहली ऐसी लड़की है जिसने  इतनी पढ़ाई की और यूपीएससी में इतनी बड़ी सफलता हासिल की और शिक्षा की क्षेत्र में इतना आगे गई।

अनिल बसक

‘Tough time do not last but tough people do : Dr Robert Schuller’ की किताब के इस शीर्षक को अपना सक्सेस मंत्र बनाकर यूपीएससी की परीक्षा में 45वीं रैंक हासिल करने अनिल बसक ने बिहार के किशनगंज के रहने वाले है।

अनिल को तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता मिली है। पहले प्रयास में उन्‍हें प्री परीक्षा में भी सफलता नहीं मिली थी दूसरे प्रयास में 616 वीं रैंक मिली थी। इसके बाद भी उन्‍होंने हार नहीं मानी और प्रयास जारी रखा। वह तीसरी बार सिविल सेवा परीक्षा में बैठे और 45वीं रैंक लाए।

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अनिल मध्यम वर्ग के परिवार से आते हैं और उनके पिता बिनोद बसक कपड़े की फेरी लगा कर गांव-गांव बेचते थे। वहीं नहीं चाहते थे कि उनके पिता को और संघर्ष करना पड़े। अनिल पूरे खानदान में दूसरे ऐसे शख्स है जिसने 10वीं कक्षा पास की और जाहिर सी बात है पहले ऐसे लड़के हैं जिसने यूपीएससी में इतनी बड़ी सफलता हासिल की 2018 के बाद आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने पर उन्‍होंने किसी संस्‍थान से कोचिंग नहीं ली।

अनिल का चयन वर्ष 2014 में आईआईटी दिल्ली में सिविल इंजीनियरिंग के लिए हुआ था और उसके कुछ समय बाद से ही वह यूपीएसएसी की तैयारी में लग गए थे। वे अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और दोस्तों को देते हैं।

डॉ अपाला मिश्रा

देशभर में यूपीएससी परीक्षा में डॉक्टर अपाला मिश्रा ने नौवां स्थान हासिल किया है। जानकारी के अनुसार, डॉ अपाला ने तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की है। उनका पहला प्रयास असफल रहा। दोबारा में फिर यूपीएससी की परीक्षा दी तो उसमें भी असफल रहीं। उसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अक्टूबर 2020 में तीसरी बार परीक्षा दी और 9वीं रैंक हासिल की।

वहीं वसुंधरा सेक्टर-5 में रहने वाली डॉ। अपाला मिश्रा मूलरूप से बस्ती के पुराना डाकखाना सिविल लाइन की रहने वाली हैं। अपाला विदेश में बेहतर नीति बनाकर  देश सेवा करना चाहती हैं। वहीं शुरुआती दौर में उन्होंने बीडीएस की पढ़ाई की, लेकिन बाद में विचार आया कि वैश्विक स्तर पर देश सेवा करने के लिए सिविल सर्विसेस की तैयारी की जाए।

अपाला के पिता अमिताभ मिश्रा आर्मी में कर्नल और बड़े भाई अभिलेख मेजर हैं। माता अल्पना मिश्रा दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी फैकल्टी में प्रफेसर हैं। डॉ। अपाला मिश्रा ने 10वीं तक की पढ़ाई देहरादून और 11वीं व 12वीं की पढ़ाई दिल्ली से की।