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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 15 दिनों में घर भेजे जाएं प्रवासी कामगार

जब से भारत में कोरोना वायरस के कारण संपूर्ण लॉकडाउन लगा है। तब से लगातार ही चर्चा का विषय बनने वाली प्रवासी कामगार आज भी अपने घर जाने के लिए बहुत ही परेशान है। बता दें, लॉकडाउन के दौरान हजारों की संख्या में प्रवासी कामगार शहर से अपने गांव की तरफ पैदल ही चल पड़े थे। हालांकि अब सरकार ने कई श्रमिक एक्सप्रेस और सरकारी बसें चलाई हैं। वहीं विदेश में फंसे लोगों और कामगारों को वापस लाने के लिए वंदे भारत का मिशन चलाया जा रहा है।इसके अर्न्तगत सैकड़ों की संख्या में स्पेशल फ्लाइट चलाई जा रही है, हालांकि इसके बाद भी प्रवासी लोगों और कामगारों की अवस्था में कोई खास सुधार नहीं आया हैं।

यहीं वजह है कि हाल ही में मंगलवार को प्रवासी मजदूरों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश देते हुए कहा है कि देश के सभी मजदूरों का पंजीकरण करवाया जाए। इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि आज से 15 दिनों के भीतर सभी प्रवासी कामगार जो अपने घर जाना चाहते हैं उन्हें उनके घर भेज दिया जाए। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेन की मांग पर केंद्र सरकार को आदेश देते कहा कि मांग के आधार पर 24 के अंदर केंद्र सरकार की ओर से ट्रेनें दी जाए।

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केंद्र सरकार के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को भी आदेश देते हुए कहा कि प्रवासी मजदूरों के लिए काउंसलिंग सेंटर की स्थापना की जाए। जिसमें राज्य में आने वाले सभी मजदूरों का डेटा इकट्ठा किया जाए और डेटा उन लोगों के गांव और  ब्लॉक के लेवल पर इकट्ठा किया जाना चाहिए। इसके साथ ही उनकी स्किल की मैपिंग की जानी चाहिए। इससे उन लोगों को नौकरी देने में असानी होगी। इसके अलावा अगर कोई मजदूर वापस अपने काम पर लौटना चाहता हैं तो राज्य सरकार उस मजदूर की भरपूर मदद करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि पलायन के दौरान घर जा रहे मजदूरों पर दर्ज किए लॉकडाउन उल्लंघन करने वाले केस को भी वापस ले लिया जाए। इसके अलावा कोर्ट ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों से मजदूरों को नौकरी देने के लिए स्कीम बनाने का ऑडर दिया है। अपनी इस स्कीम की जानकारी प्रदेश और राज्य सुप्रीम कोर्ट को देनी होगी। इसके साथ सभी मजदूरो को इस स्कीम का फायदा मिलना चाहिए।