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जानिए क्या होता है यो-यो टेस्ट और डेक्सा स्कैन, इसके बिना अब नहीं मिलेगी टीम इंडिया में जगह

बीते साल में टीम इंडिया क्रिकेट फैंस की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी। ऑस्ट्रेलिया की सरजमीं पर खेले गए आईसीसी t20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में भारतीय टीम को इंग्लैंड के हाथों 10 विकेट से कड़ी मात मिली थी। इसके बाद बीसीसीआई अब एक्शन मोड में आ गई है।

मीडिया में आ रही खबरों की मानें तो बीसीसीआई अब इस साल टीम की बेहतर तैयारियों पर फोकस कर रही है। ऐसे में साल के पहले ही बीसीसीआई की समीक्षा बैठक हुई। जहां पर टीम इंडिया के प्रदर्शन, आईसीसी t20 वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल में इंग्लैंड के हाथों हार के साथ कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

यो-यो टेस्ट और डेक्सा स्कैन पास करने वाले का ही होगा टीम इंडिया

साल के पहले दिन हुई बैठक के बाद यह तय हुआ कि खिलाड़ियों के लिए यो-यो टेस्ट और डेक्सा स्कैन अनिवार्य कर दिया है। उधर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सेंट्रल कांटेक्ट वाले प्लेयरो के कस्टमाइज रोड मैप के आधार पर लागू किया जाएगा। ऐसे में आइए जानते हैं यो यो टेस्ट और डेक्सा स्कैन के बारे में।

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यहां पर जानिए क्या होता है यो-यो टेस्ट

यो-यो टेस्ट में कुल 23 स्तर (लेवल) होते हैं। खिलाड़ियों के लिए इसकी शुरुआत पाचवी स्तर से होती है। 20 मीटर की दूरी पर कोन रखे होते हैं। हर खिलाड़ी को 20 मीटर कौन तक जाना और 20 मीटर कौन तक आना यानी कि 40 मीटर की दूरी एक समय के अंदर तय करनी होती है। आपको बताते चलें जैसे-जैसे लेवल की संख्या बढ़ती जाती है और दूरी को पूरी करने का समय भी घटता जाता है।

इस टेस्ट में किए गए परफॉर्मेंस के आधार पर खिलाड़ियों का स्कोर तय किया जाता है। खिलाड़ियों का स्कोर सॉफ्टवेयर आधारित होता है। अगर किसी भी खिलाड़ी को बीसीसीआई का यो- यो टेस्ट पास करना है तो उसका स्कोर न्यूनतम 16.1 होना चाहिए।

डेक्सा टेस्ट के बारे में यहां पर

प्लेयरो की फिटनेस को वैज्ञानिक बनाने के लिए डेक्सा टेस्ट को फिटनेस प्रोग्राम के अंतर्गत शामिल किया गया है। बोन डेंसिटी टेस्ट को डेक्सा स्कैन के नाम से जाना जाता है।

यह एक खास तरीके का टेस्ट होता है जो बोन की डेंसिटी को मापता है। इस टेस्ट के जरिए खिलाड़ी के फैक्चर के बारे में सही जानकारी प्राप्त होती है। इसके अलावा इस टेस्ट के साथ शरीर की चर्बी का प्रतिशत, मास और टिशु के बारे में हर जानकारी मिलती है।

इस टेस्ट के दौरान केवल 10 मिनट के अंदर इस बारे में पता किया जा सकता है कि प्लेयर कितना फिट है। इसे करने के लिए एक्स-रे की सहायता ली जाती है।

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