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विश्व कप 2011 के फाइनल में धोनी ने क्यों बदला था अपना बल्लेबाजी क्रम? युवराज सिंह ने खोला राज

आईसीसी वर्ल्ड कप 2011 का खिताब टीम इंडिया (Team India) ने श्रीलंका (Sri Lanka) को हराकर अपने नाम किया था। भारतीय टीम की आईसीसी एकदिवसीय वर्ल्ड कप की यह दूसरी खिताबी जीत थी। इससे पहले टीम इंडिया ने कपिल देव (Kapil Dev) की अगुवाई में साल 1983 का वर्ल्ड कप वेस्टइंडीज को हराकर जीता था।

अगर बात करें इस साल 2011 की वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले की तो हर भारतीय फैंस को उस क्षण की याद जरूर होगी जब भारतीय टीम 275 रन के टारगेट का पीछा करते हुए 114 रन पर तीन विकेट खो चुकी थी। विराट कोहली 35 रन बनाकर पवेलियन वापस लौट रहे थे जबकि दूसरी तरफ युवराज (Yuvraj Singh) की जगह पर बैटिंग के लिए तत्कालीन कप्तान धोनी (MS Dhoni) स्वयं बल्ला लेकर क्रीज पर उतरे थे।

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आपको बताते चलें कि महेंद्र सिंह धोनी द्वारा फाइनल जैसे बड़े मुकाबले में बल्लेबाजी ऑर्डर में बदलाव को लेकर हर किसी के मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे थे। मगर एम एस धोनी द्वारा दिया गया यह एक फैसला भारतीय टीम की किस्मत को चमकाने के लिए काफी था और धोनी ने इस मुकाबले में बल्ले से शानदार प्रदर्शन करते हुए नाबाद 91 रन की पारी भी खेली थी। जिसकी बदौलत टीम इंडिया 28 साल बाद वनडे विश्व कप जीत पाई थी।

अब फाइनल मैच के दौरान बैटिंग ऑर्डर में किए गए बदलाव को लेकर टीम इंडिया के बाएं हाथ के पूर्व बल्लेबाज युवराज सिंह (Yuvraj Singh) ने पूरी बात विस्तार से बताई है।

Yuvraj Singh ने बैटिंग ऑर्डर में बदलाव करने का किया खुलासा

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टीम इंडिया के मध्यक्रम के पूर्व बल्लेबाज युवराज सिंह (Yuvraj Singh) ने एक स्पोर्ट चैनल के साथ बातचीत के दौरान कहा,’ माही का वर्ल्ड कप 2011 में मुझसे पहले बल्लेबाजी के लिए जाना टीम का फैसला था। जब गौतम गंभीर और विराट कोहली क्रीज पर टीम इंडिया की पारी को आगे बढ़ा रहे थे तब ड्रेसिंग रूम में एक बातचीत हुई थी।

वीरू, सचिन, गैरी कस्टर्न और माही के बीच बातचीत होने के बाद यह तय किया गया था कि बीच के ओवर में लेफ्ट-राइट कॉम्बीनेशन की जरूरत होगी क्योंकि तब श्रीलंका के दो ऑफ स्पिनर गेंदबाजी कर रहे होंगे। तो यह तय किया गया कि अगर विराट आउट होते हैं तो माही पांचवें क्रम पर उतरेंगे और अगर गंभीर का विकेट गिरता है तो अगला बल्लेबाज मैं रहूंगा।”

धोनी ने खेली थी नंबर पांच पर बैटिंग करते हुए 91 रनों की नाबाद पारी

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आपको बताते चलें कि साल 2011 के वनडे विश्व कप के फाइनल मुकाबले में श्रीलंका के विरुद्ध भारत के तत्कालीन कप्तान एमएस धोनी ने नंबर पांच पर स्वयं बल्लेबाजी के लिए मैदान पर आकर 79 गेंदों का सामना करते हुए 91 रनों की बेहतरीन पारी खेली थी। इस मैच में उन्होंने छक्का लगाकर भारत की टीम को खिताबी जीत दिलाई थी।

धोनी की शानदार पारी के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार भी दिया गया था। दूसरी तरफ बाए हाथ के पूर्व बल्लेबाज युवराज सिंह को उनके हरफनमौला प्रदर्शन के लिए ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ के खिताब से नवाजा गया था।

आईसीसी वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल मुकाबले का सार

2011 विश्व कप

आपको बता दें कि आईसीसी वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल मैच में श्रीलंका के कप्तान ने टास जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया था।

श्रीलंका के लिए इस मुकाबले में महेला जयवर्धने ने शानदार शतकीय पारी खेली थी जबकि तिलकरत्ने दिलशान (TilakRatne Dilshan) और संगकारा ने बल्ले से शानदार योगदान देकर श्रीलंका के स्कोर को 270 के पार पहुंचाया था। ऐसे में टीम इंडिया को यह खिताबी मुकाबला जीतने के लिए कुल 275 रनों का लक्ष्य मिला था।

मुकाबले में बाद में बैटिंग करने उतरी भारतीय टीम ने लक्ष्य का पीछा करते हुए 31 रन के कुल योग पर सचिन और सहवाग जैसे बड़े विकेट गंवा दिए थे और इसके बाद गौतम गंभीर और विराट कोहली ने मोर्चा संभालते हुए 83 रनों की शानदार पारी घोषित की थी और फिर धोनी और गौतम गंभीर के बीच भी 109 रनों की साझेदारी हुई थी और अंत में महेंद्र सिंह धोनी और युवराज सिंह द्वारा की गई 54 रनों की अविजित साझेदारी ने टीम इंडिया को इस खिताबी मुकाबले में शानदार जीत दिलाई थी।

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