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क्रिकेट में मौका नहीं मिलने पर छोड़ा पाकिस्तान, न्यूजीलैंड में जा बसा, फिर इंग्लैंड की इस टीम की तरफ से खेल मचाया गदर

कोई भी काबिल इंसान दुनिया में कहीं भी अपनी काबिलियत के दम पर रोजी रोटी के जुगाड़ के अलावा शोहरत भी हासिल कर सकता है।

हम एक ऐसे ही क्रिकेटर की बात कर रहे हैं जिन्होंने अपने डेब्यू मुकाबले में तकरीबन साढे 5 घंटे तक बल्लेबाजी करके कराची टेस्ट में शतक लगाया था। डेब्यू टेस्ट मुकाबले की पहली पारी में इस खिलाड़ी के बल्ले से 166 रन आए थे। ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों के खिलाफ घातक बल्लेबाजी करने वाले इस खिलाड़ी को पाकिस्तान ने नकार दिया।

यह खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय 217 प्रथम श्रेणी मुकाबले खेलकर रिकॉर्ड बना चुका था। इस खिलाड़ी ने 1964 से लेकर 67 तक पाकिस्तान के लिए केवल 4 टेस्ट मुकाबले खेले और फिर अपने देश की तरफ से कभी नहीं खेला ।

ऐसे में बड़ा प्रश्न उठता है कि आखिरकार अब इस खिलाड़ी की चर्चा क्यों की जा रही है? तो इस सवाल का सीधा सा उत्तर यह है कि 20 दिसंबर को उस खिलाड़ी का जन्मदिन था जिस खिलाड़ी के बारे में हम बात कर रहे हैं वह कोई और नहीं है बल्कि पाकिस्तान के पूर्व सलामी बल्लेबाज खालिद इबादुल्ला हैं।

20 दिसंबर 1935 को पाकिस्तान की सरजमीं पर जन्म लेने वाले खालिद इबादुल्ला 87 साल के हो चुके हैं। ऐसे में आज के दिन इस खिलाड़ी की बात किया जाना लाजिमी है।

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इंग्लैंड की टीम के लिए बनाए हैं छह बार 1000 से अधिक रन

खालिद इबादुल्ला को पाकिस्तान की टीम के लिए खेलने का अवसर नहीं मिला मगर उन्होंने इंग्लैंड की काउंटी टीम वारविकशायर के लिए खेलने का फैसला किया। इस खिलाड़ी को क्रिकेट खेलने के दौरान काफी पहचान भी मिली थी।

उन्होंने 1954 से लेकर 1972 के मध्य तक वारविकशायर के लिए खेलने का फैसला किया था। 1954 से 1972 तक वारविकशायर के लिए खेलते हुए इस खिलाड़ी ने 6 बार अपनी टीम के लिए 1000 से अधिक रन बनाए थे। इस दौरान उन्होंने 1962 में 2098 रन बनाए थे.

जो उस दौरान उनके द्वारा बनाए गए सर्वाधिक रन थे। अगर वारविकशायर के लिए उनके सर्वाधिक उच्च स्कोर की बात करें तो उन्होंने व्यक्तिगत उच्च स्कोर के तौर पर 171 रन बनाए थे। यह पारी उन्होंने साल 1961 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के खिलाफ खेलते हुए बनाई थी।

1976 में चले गए थे न्यूजीलैंड

वारविकशायर के लिए लंबे समय तक खेलने वाले पाकिस्तान के सलामी बल्लेबाज ने न्यूजीलैंड की घरेलू टीम ओटागो के लिए भी मुकाबले खेले। इसके बाद 1976 में उन्होंने न्यूजीलैंड में बसने का फैसला किया था। और वहां पर रहते हुए उन्होंने खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देनी भी शुरू कर दी थी।

कोच के तौर पर उन्होंने न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम केन रदरफोर्ड जैसे खिलाड़ी दिए। इसके अलावा इस पूर्व क्रिकेटर ने साल 1982 से लेकर 1983 तक अंपायरिंग में भी हाथ आजमाए थे।

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