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रणजी ट्रॉफी का एक मैच 4 दिन तो दूसरा क्यों खेला जाता है 5 दिन? जानिए इसके पीछे की वजह

रणजी ट्रॉफी का नाम सुनते ही सफेद कपड़ों में टेस्ट मैच खेलते हुए खिलाड़ियों का ध्यान आता है जो कि बिल्कुल सही भी है। रणजी ट्रॉफी ही वह टूर्नामेंट है जहां पर खिलाड़ियों की असली परीक्षा होती है।

बता दें कि रणजी ट्रॉफी बीसीसीआई की फर्स्ट क्लास लीग है जिसकी शुरुआत 1934-35 में हुई थी तथा इस बार इसका 88 वा सीजन एडिशन खेला जा रहा है।

यह भारत के सबसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में से एक है। इस टूर्नामेंट में जो भी खिलाड़ी खेलता है उसे भारत की ओर से खेलने का मौका भी मिल सकता है। यानी इस टूर्नामेंट में अपनी गेंदबाजी और बल्लेबाजी से जो खिलाड़ी चयनकर्ताओं और कोच को आकर्षित करता है वैसे ही उन्हें टीम में जगह मिल पाती है।

कोई मैच 4 तो कोई मैच 5 दिन क्यों

देखा जाए तो किसी भी फॉर्मेट में मैच कब खत्म हो जाए इसके बारे में पहले से नहीं कहा जा सकता। परंतु हर फॉर्मेट के लिए एक निर्धारित समय को तय किया गया है जैसे आईसीसी ने इंटरनेशनल मुकाबलों के लिए एक समय निर्धारित कर रखा है वैसे ही रणजी ट्रॉफी में भी मुकाबले को 4 या 5 दिन तक समय निर्धारित किया गया है।

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अब सोचने वाली बात यह है कि कोई मैच 4 या कोई 5 दिन तक क्यों खेला जाता है हम आपको बताते हैं कि बीसीसीआई ने रणजी के ग्रुप मुकाबलों को 4 दिन तय कर रखा है जबकि नॉकआउट मुकाबले के लिए 5 दिन निर्धारित किए गए हैं।

रणजी ट्रॉफी का 88वां संस्करण का हो चुका है प्रारंभ

इस समय रणजी ट्रॉफी का टूर्नामेंट 13 दिसंबर से 20 फरवरी के बीच खेला जा रहा है, जिसके अंतर्गत 13 दिसंबर से 24 जनवरी के बीच ग्रुप मुकाबले खेले जाएंगे यह सभी मुकाबले 4 दिन तक चलने वाले हैं।

हालांकि निर्धारित समय से पहले भी किसी मुकाबले का नतीजा निकल सकता है। वही 31 जनवरी से चारों क्वार्टर फाइनल मैच खेले जाएंगे जिसके बाद सेमीफाइनल मुकाबला 8 फरवरी को आयोजित होगा तथा 16 फरवरी को फाइनल मुकाबला खेला जाएगा। बता दें कि यह सारे नॉकआउट मुकाबले 5 दिनों तक चलेंगे।

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