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3 मौके, जब टीम इंडिया को वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में करना पड़ा हार का सामना

टीम इंडिया: वर्ल्ड कप हासिल करना हर किसी टीम का सपना होता है। हर टीम इतने सालों की मेहनत, इतने बिलिटरल्स, इतने टूर्नामेंट सब उस एक खिताब के लिए करती है।

सबसे ज्यादा दुख तब होता है जब टीम वर्ल्ड कप के फाइनल तक तो पहुंच जाए पर फाइनल में पहुंच कर उसे हार का सामना करना पड़ता हैं। आज हम ऐसे तीन मौका का जिक्र करेंगे जब टीम इंडिया को वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था।

2003 (भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, पुरुष वर्ल्ड कप)

1983 का विश्व कप जीतने के 20 साल बाद टीम इंडिया ने सौरव एक नेतृत्व में पहली बार वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई थी। उम्मीद थी की एक बार कप फिर भारत आयेगा। पर ऑस्ट्रेलिया हमेशा से ही सबसे मजबूत टीमों के से एक रही है। जहां पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया की टीम ने रिकी पोंटिंग के शतक की मदद से 359 रन बनाए।

वहीं लक्ष्य का पीछा करने आई टीम इंडिया केवल 234 रन पर ऑल आउट हो है। इसी के साथ ऑस्ट्रेलिया ने इस फाइनल में भारत को 125 रन के बड़े मार्जिन से मात दी। भारत की तरफ से केवल लोन वॉरियर वीरेंद्र सहवाग रहे थे।

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2005 ( भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, महिला वर्ल्ड कप)

पुरुष टीम से केवल 2 साल बाद भारतीय महिला टीम ने भी वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई। उनका भी फाइनल मैच बेहद मजबूत टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ था। मिताली राज उस समय पर टीम की कैप्टन थी। दक्षिण अफ्रीका में हो रहे इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में 215 रन बनाए।

ये एक बनाने योग्य लक्ष्य था पर भारत की टीम इतने बड़े टूर्नामेंट के फाइनल का दबाव झेल नहीं पाई और 117 रन पर ऑल आउट हो है। इस तरह वर्ल्ड कप जीतने से वंचित रही। पर इस टूर्नामेंट ने भारतीय महिला क्रिकेट में क्रांति ला दी। अब लोग महिला क्रिकेटर को पहचाने लगे थे। साथ समय के साथ साथ महिला क्रिकेट को भी वो ही सम्मान मिलने लगा।

2017 ( इंग्लैंड बनाम भारत, महिला वर्ल्ड कप)

12 साल बाद एक बार फिर भारतीय महिला टीम ने मिताली की ही कप्तानी में फाइनल तक जगह बनाई। पूरे टूर्नामेंट के दौरान भारतीय टीम अच्छी लगी थी। लग रहा था भारत महिला टीम पहली बार विश्व कप अपने नाम कर पाएगी।

इंग्लैंड ने पहले 228 रन बनाए। जवाब में पीछा करने आई भारतीय टीम मैच जीतने के बहुत करीब थी। पर अंत में वह एक के बाद एक विकेट खोती रही और 219 रन बना कर ऑल आउट हो है। जिससे टीम को वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में 9 रन से हार का सामना करना पड़ा।

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